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अवसर की अवहेलना युवाओं मे निराशा का उपजना, सरयू साहित्य द्वारा पीड़ा पर व्यक्त की गई संवेदना

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Neglect of opportunity gives rise to despair among youth, Saryu Sahitya expresses condolences on pain

संयत्रों पर स्थानीयता को प्राथमिकता देनें की मांग

RO NO - 12784/135  

सौरभ बरवाड़@भाटापारा- प्राकृतिक संसाधन से समृद्ध छत्तीसगढ मे औद्योगिकीकरण के लिए अनुकूल परिस्थिति जान औद्योगिक समुदाय का सहज ही आकर्षण छत्तीसगढ की ओर नजर आ रहा है,लिहाजा राज्य मे औद्योगिकीकरण की रफ्तार नजर आ रही है जगह जगह खुलते उद्योग इसकी प्रत्यक्ष बानगी है,बलौदाबाजार भाटापारा जिले मे भी पर्याप्त संख्या मे संयत्र स्थापित हो गये है एवं बड़ी संख्या मे स्थापित होनें की कतार में है,

स्थानीयता की भागीदारी पर सवाल

राज्य मे बढ़ते औद्योगिकीकरण और नित नये स्थापित होते संयत्र जहां एक ओर राज्य की परंपरागत रोजगार को क्षति पंहुचा रहें है वहीं स्थानीय युवाओं के समक्ष रोजगार का संकट उत्पन्न कर रहें है,चूंकि यहां का परंपरागत व्यवसाय औद्योगिकीकरण से प्रभावित हो रहा है,लेकिन युवाओं मे यह आस भी जग रही है कि औद्योगिकीकरण मे उनकी भागीदारी होगी,लेकिन यही आस आज सवालों के घेरे मे नजर आ रहें है क्योकि राज्य मे स्थापित होते संयत्रों एवं उसमे स्थानीय युवा की भागीदारी पर नजर दौड़ाई जाए तो परिणाम आशाजनक नजर नहीं आ रहें है,जिले मे स्थापित संयत्रों मे ही युवाओं की अल्प भागीदारी के मद्देनजर निराशा एवं असंतोष के भाव स्पष्ट रुप से नजर आतें हैं।

योग्यता के बावजूद भटकन की स्थिति

युवाओं ने यह महसूस किया कि वर्तमान समय तकनीकी शिक्षा का युग है और राज्य मे निरंतर स्थापित होते संयत्र भी इन्ही भावनाओं को बल देने का कारक बनी कि तकनीकी शिक्षा मे भविष्य है,लिहाजा तकनीकी शिक्षा की ओर युवाओं का रुझान बढ़ा,जिसके चलते बड़ी संख्या मे तकनीकी शिक्षा के संस्थान स्थापित हुए भाटापारा मे भी शासकीय संस्थान के साथ ही निजी संस्थानों मे अध्यनरत विद्यार्थियों की बड़ी संख्या है,लेकिन इसका दुखद पहलू यह है कि बड़ी संख्या मे युवा शिक्षा प्राप्त करनें के बाद रोजगार के अवसर से महरूम नजर आतें है,एवं सबसे बड़ी विडम्बना यह है कि पर्याप्त योग्यता होने के बावजूद स्थानीय संयत्रों मे उन्हे रोजगार के अवसर प्राप्त नहीं हो रहा है लेकिन इसी योग्यता के आधार पर उन्हे अन्य राज्यों मे रोजगार उपलब्ध हो रहा है,योग्यता एवं अवसर के बावजूद पलायन की पीड़ा झेलते युवाओं की बीच निराशा एवं असंतोष के भाव स्पष्ट रुप से परिलक्षित हो रहा है।

सरयू साहित्य द्वारा प्राथमिकता की मांग

जन सरोकार के मसले पर सतत सक्रियता एवं संवेदना का परिचय देनें वाली सेवा सम्मान एवं सौहार्द के सूक्ति वाक्य से संचालित सरयू साहित्य परिषद द्वारा युवाओं की इस पीड़ा और परेशानी को महसूस कर संवेदना का परिचय देते हुए शासन प्रशासन से मांग की गयी है कि स्थानीयता को प्राथमिकता देने के तहत ठोस नीति का निर्धारण किया जाए,इसी कड़ी में परिषद के अध्यक्ष गौरीशंकर शर्मा का कहना है कि युवा देश के आधार है एवं उनकी पीड़ा और परेशानी सबकी पीड़ा है,और इस पीड़ा के निराकरण के लिए सरयू साहित्य परिषद द्वारा हर संभव संघर्ष किया जाएगा।

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