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बच्चा चोरी गैंग का खुलासा! सीबीआई की छापेमारी में 8 बच्चे बरामद,कई नवजात शिशुओं का रेस्क्यू

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Child theft gang exposed! 8 children recovered in CBI raid, many newborn babies rescued

दिल्ली-एनसीआर में बच्चा चोरी गैंग को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। सीबीआई की छापेमारी में में आठ बच्चों को बरामद किया गया है। इस मामले में सीबीआई ने अस्पताल के बॉर्ड बॉय और स्टाफ कर्मचारियों को गिरफ्तार किया है
दिल्ली के केशव पुरम इलााके में शुक्रवार को उस वक्त सनसनी मच गई जब सीबीआई और पुलिस की टीम एक घर में छापा मारने पहुंची. दो दिनों तक चली रेड के बाद सीबीआई ने मानव तस्करी रैकेट का भंडाफोड़ करते हुए 7 से 8 नवजात बच्चों को रेस्क्यू किया.

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हैरानी की बात ये है कि इसमें एक नवजात की उम्र महज 36 घंटे है जबकि दूसरे की उम्र 15 दिन है. रेड के दौरान केशव पुरम थाने की पुलिस भी मौके पर रही मौजूद थी.

बाल तस्करी के मामले में दिल्ली में सीबीआई ने शुक्रवार देर रात कई जगहों पर छापेमारी की है। छापेमारी के दौरान सीबीआई की टीम ने केशवपुरम के एक घर से दो नवजात शिशुओं का रेस्क्यू किया है।

सीबीआई इस मामले में बच्चों को बेचने वाली महिला और उन्हें खरीदने वाले शख्स से पूछताछ कर रही है। सीबीआई ने एक महिला समेत कुछ लोगों को हिरासत में लिया है। उनसे पूछताछ चल रही है। शुरुआती जानकारी में यह सामने आया है कि मानव तस्करी करने वाले इस गैंग के सदस्य अस्पतालों से नवजात बच्चों की चोरी करते थे।
सीबीआई ने इस मामले में सात से आठ बच्चों का रेस्क्यू किया है, हालांकि अभी आधिकारिक बयान नहीं आया है। वहीं, खरीद फरोख्त करने वाले कुछ लोगों को दिल्ली-एनसीआर से हिरासत में भी लिया गया है। हिरासत में लिए गए लोगों में अस्पताल के वार्ड बॉय समेत कुछ महिला और पुरुष हैं।

रेस्क्यू किए गए सभी बच्चों की उम्र 10 साल से कम

बता दें कि सीबीआई को बच्चों की खरीद फरोख्त की जानकारी मिली थी जिसके बाद छापेमारी की ये कार्रवाई शुरू की गई थी. सीबीआई ने जिन बच्चों को रेस्क्यू किया है उनकी उम्र 10 साल से कम है. इस मामले में 3-4 लोगों को अभी गिरफ्तार किया गया है.
4 से 6 लाख रुपये में बेचे जा रहे थे बच्चे

सीबीआई अधिकारियों ने बताया कि अब तक की जांच से पता चला है कि आरोपी विज्ञापन के माध्यम से, फेसबुक पेज और व्हाट्सएप ग्रुप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भारत भर के वैसे निःसंतान दंपतियों से जुड़ते थे जो बच्चे गोद लेने के इच्छुक होते थे.

वे कथित तौर पर वास्तविक माता-पिता के साथ-साथ सरोगेट माताओं से भी बच्चे खरीदते थे और उसके बाद नवजात बच्चों को 4 से 6 लाख प्रति बच्चे की कीमत पर बेचते हैं. ये आरोपी कथित तौर पर गोद लेने से संबंधित फर्जी दस्तावेज बनाकर कई निःसंतान दंपतियों से लाखों रुपये की ठगी करने में भी शामिल रहे हैं.

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