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गाय के दूध में पाया गया खतरनाक H5N1 बर्ड फ्लू वायरस, क्या …

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Dangerous H5N1 bird flu virus found in cow’s milk, what…

अमेरिका में कच्चे दूध में बहुत ज्यादा मात्रा में बर्ड फ्लू (Bird flu) पाया गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक यह H5N1 वायरस है, जो सबसे पहले 1996 में सामने आया था। साल 2020 से चिड़ियों में इस (Bird flu) वायरस का फैलाव तेजी से बढ़ा है, जिसकी वजह से दुनियाभर में करोड़ों जंगली बर्ड और मुर्गी पालन फार्मों के मुर्गे मारे गए हैं।

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H5N1 बर्ड फ्लू को लेकर एक्सपर्ट्स पहले ही काफी चिंतित हैं। उनकी मानें तो ये बीमारी बहुत तेजी से फैल सकती है और इससे मरने वालों की संख्या कोविड से 100 गुना ज्यादा हो सकती है। रिपोर्ट के अनुसार ये वायरस अब उस मुकाम पर पहुंच चुका है जहां से ये पूरी दुनिया में महामारी फैला सकता है। वहीं अब वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (डब्लयूएचओ) ने बताया है कि हाल ही में एक बर्ड फ्लू जिसका नाम H5N1 है, बीमार जानवरों के कच्चे दूध में बहुत ज्यादा मात्रा में पाया गया है। हालांकि ये अभी पता नहीं चला है कि ये वायरस दूध में कितने समय तक जिंदा रह सकता है। हाल ही में अमेरिका के टेक्सास में कुछ गायों को बर्ड फ्लू हो गया था। वहां के एक डेयरी फॉर्म में काम करने वाले इंसान को भी इन्हीं गायों की देखभाल से ये बीमारी लग गई थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि ये चिंता की बात है। अब तक बर्ड फ्लू पक्षियों से फैलता था, पर पहली बार गाय से इंसान को ये बीमारी हुई है।

दूध में कहां से आया यह वायरस
मार्केट में मिलने वाला पैकेटबंद दूध पाश्चुराइज्ड मिल्क होता है। इसे गर्म करके तुरंत ही ठंडा किया जाता है जिससे इसमें मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया मर जाते हैं। इसके बाद इसे पैक करके मार्केट में बेचने के लिए भेज दिया जाता है। यह बर्ड फ्लू वायरस इसी पाश्चुराइज्ड दूध में पाया गया है। यह वायरस अभी भारत में गाय के दूध में नहीं मिला है। यह अभी अमेरिका में ही मिला है।

गाय से इंसान में पहुंचा वायरस
अमेरिका की एक डेयरी में काम करने वाला एक शख्स इस बर्ड फ्लू वायरस की चपेट में आ गया। WHO के एक अधिकारी के मुताबिक यह ऐसा पहला मामला है जिसमें बर्ड फ्लू किसी जानवर से होते हुए इंसान में पहुंचा है। ऐसे में यह उन लोगों के शरीर में भी पहुंच सकता है जो गाय के दूध का सेवन करते हैं।

टेक्सास में पहला मामला
इस महीने की शुरुआत में अमेरिका के स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि टेक्सास के एक डेयरी फार्म में काम करने के दौरान एक शख्स बर्ड फ्लू से संक्रमित हुआ था। वह अब ठीक हो चुका है। यह पहला मामला है जहां किसी इंसान में गाय से बर्ड फ्लू का संक्रमण हुआ है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का कहना है कि ये चिंता की बात है. अब तक बर्ड फ्लू पक्षियों से फैलता था, पर पहली बार गाय से इंसान को ये बीमारी हुई है.

कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि बर्ड फ्लू का ये वायरस बदल रहा है. पहले ये सिर्फ पक्षियों से गाय को होता था, अब गाय से गाय को और गाय से पक्षी को भी ये बीमारी लग रही है. चिंता की एक और बात ये है कि बीमार गायों के दूध में भी इस वायरस पाया गया है.

वैज्ञानिकों के लिए हैरानी की बात है क्योंकि उन्हें नहीं लगता था कि ये फ्लू गाय और बकरियों को हो सकता है. लेकिन जांच में पता चला है कि कुछ गायें वाकई में वर्ड फ्लू से संक्रमित थीं. ऐसे में क्या गाय का दूध पीना सुरक्षित है? आइए इस स्पेशल स्टोरी में समझते हैं.

पहले जानिए क्या है H5N1 फ्लू?
H5N1 एक तरह का फ्लू का वायरस है, मगर ये इंसानों का फ्लू नहीं बल्कि पक्षियों का फ्लू है. इसलिए इसे बर्ड फ्लू भी कहते हैं. ये वायरस मुख्यत: पक्षियों में ही रहता है और उनको बीमार करता है. कभी-कभी दूसरे स्तनधारी जानवरों को भी हो सकता है.

अगर किसी पक्षी को ये फ्लू हो जाता है तो उसके पास रहने, उसे छूने या उसकी बीट को छूने से ये इंसान भी संक्रमित हो सकते हैं. अगर किसी जगह पर बीमार पक्षी रहे हों, तब भी वो जगह दूषित हो सकती है और उससे इंसान बीमार हो सकते हैं. ये फ्लू अगर इंसानों को लग जाए तो काफी गंभीर हो सकता है. इससे तेज बुखार, खांसी, गले में खराश, निमोनिया (फेफड़ों का इन्फेक्शन) या कई बार बहुत बुरी हालत हो सकती है.

पाश्चराइजेशन क्या है? क्या ये बर्ड फ्लू को मार सकता है?
पाश्चराइजेशन दूध को गर्म करने की एक प्रक्रिया है. इसकी खोज 1860 के दशक में लुई पाश्चर नाम के फ्रेंच वैज्ञानिक ने की थी. तब से इसका इस्तेमाल दूध में मौजूद खतरनाक बैक्टीरिया और बीमारी पैदा करने वाले जीवाणुओं को खत्म करने के लिए किया जाता है.

पाश्चराइजेशन की प्रक्रिया उस वायरस को भी खत्म कर देती है जो बर्ड फ्लू का कारण बनता है. इसीलिए डॉक्टरों का कहना है कि पाश्चराइज्ड दूध और बाजार में मिलने वाले पैकेट वाले दूध पीने में कोई खतरा नहीं है. कुछ डेयरी उत्पादों को ‘अल्ट्रा पाश्चराइज्ड’ किया जाता है. इसमें दूध को आम पाश्चराइजेशन से ज्यादा तापमान (कुछ सेकंड) पर जल्दी गर्म किया जाता है और फिर तेजी से ठंडा कर दिया जाता है. इससे दूध को ज्यादा समय तक खराब होने से बचाया जा सकता है.

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