Home Blog आपकी पोल खोलेगी उत्‍तराखंड सरकार… 21 साल से कम है उम्र और...

आपकी पोल खोलेगी उत्‍तराखंड सरकार… 21 साल से कम है उम्र और लिव इन में रहते हैं तो छिपाने पर होगी जेल और जुर्माना

0

Uttarakhand government will expose you… If you are less than 21 years of age and live in a live-in relationship, then you will face jail and fine for hiding it.

समान नागरिक संहिता कानून लागू करने वाला उत्तराखंड पहला राज्य बन गया है। 13 मार्च 2024 बुधवार को राष्ट्रपति ने नागरिक संहिता विधेयक को मंजूरी दे दी है। इस कानून में लिव इन रिलेशनशिप के लिए भी कई नियम बनाए गए हैं। जिनका पालन न करने पर जेल हो सकती है और जुर्माना देना पड़ सकता है। आइए जानते हैं इनके बारे में…

RO NO - 12784/135  

21 साल से हैं तो रजिस्ट्रार पुलिस को देगा सूचना

नियम के अनुसार, यदि एक पार्टनर की उम्र 21 साल से कम है, तो रजिस्ट्रार को अनिवार्य रूप से पुलिस को सूचित करना होगा और प्रस्तुत बयान प्राप्त करने पर माता-पिता को सूचित करना होगा. हालांकि, विवाहित लोगों, अन्य लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वालों, नाबालिगों, या जबरदस्ती, जबरन या धोखाधड़ी वाली सहमति वाले रिश्तों में रहने वाले लोगों के लिए पंजीकरण निषिद्ध है. धारा 380 में इन रिश्तों को निषिद्ध के रूप में रेखांकित किया गया है. स्थानीय रीति-रिवाजों में जो रिश्ता लिव-इन जैसा समझा जाएगा, सरकार उसी को मान्यता देगी.

यह विधेयक 5 फरवरी को उत्तराखंड विधानसभा में पेश किया गया और 7 फरवरी को तेजी से पारित हो गया, जिसका उद्देश्य सामाजिक कुरीतियों को खत्म करना है. सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा था कि कानून लिव-इन रिलेशनशिप का विरोध नहीं करता है या किसी समुदाय को लक्षित नहीं करता है बल्कि समान नागरिक संहिता के तहत समावेशी है.
सीएम धामी ने आगे कहा कि कानूनी ढांचा लिव-इन रिश्तों की औपचारिक मान्यता और विनियमन, वैधता, पंजीकरण और रखरखाव के मुद्दों को संबोधित करना सुनिश्चित करता है. यह व्यापक दृष्टिकोण भागीदारों और उनके बच्चों के अधिकारों और कल्याण की रक्षा करता है. वहीं, उप नेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी ने इस कदम की आलोचना करते हुए इसे देवभूमि के सांस्कृतिक मूल्यों के खिलाफ बताया.

उल्लंघनकर्ताओं के लिए दंड

तीस दिनों के भीतर लिव-इन रिलेशनशिप को पंजीकृत करने में विफल रहने पर दंड में तीन महीने तक की कैद या ₹10,000 तक का जुर्माना शामिल है. गलत जानकारी देने पर तीन महीने तक की कैद या ₹25,000 तक का जुर्माना हो सकता है. पंजीकरण नोटिस का अनुपालन न करने पर छह महीने तक की कैद या ₹25,000 तक का जुर्माना हो सकता है.

ऑनलाइन पोर्टल और मोबाइल ऐप पर होगा रजिस्ट्रेशन

आवेदकों के लिए प्रक्रिया को आसान बनाते हुए, एक ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म और एक मोबाइल ऐप के माध्यम से पंजीकरण की सुविधा प्रदान की जाएगी. पूर्व आईएएस अधिकारी संतोष सिन्हा के नेतृत्व वाली 9 सदस्यीय समिति द्वारा विकसित रूपरेखा को ऑनलाइन लॉन्च करने की प्रकिया अंतिम चरण में है. हालांकि साल के अंत तक इसके ऑनलाइन होने की संभावना है.यूसीसी नियम और कार्यान्वयन समिति में तीन उप-समितियां भी शामिल हैं.

यूसीसी ने लिव-इन चाइल्ड और महिला भरण-पोषण को वैध बनाया

यूनिफॉर्म सिविल कोड लिव-इन रिलेशनशिप से पैदा हुए बच्चों की वैधता को भी वैध बनाता है और परित्यक्त महिला भागीदारों को भरण-पोषण का अधिकार देता है. धारा 379 बच्चों की वैधता स्थापित करती है, जबकि लिव-इन पार्टनर द्वारा छोड़ी गई महिलाएं उस स्थान के क्षेत्राधिकार में सक्षम अदालत के माध्यम से भरण-पोषण की मांग कर सकती हैं जहां वे आखिरी बार साथ रहती थीं. प्रावधान के लिए संहिता का अध्याय 5, भाग 1 लागू होगा.

रिश्ते की समाप्ति

धारा 384 में कहा गया है कि पार्टनर रजिस्ट्रार को एक बयान देकर अपने लिव-इन रिलेशनशिप को समाप्त कर सकते हैं, जो फिर दूसरे पार्टनर को सूचित करेगा. पंजीकरण प्रक्रिया साल के अंत तक ऑनलाइन और यूसीसी मोबाइल ऐप पर शुरू करने की तैयारी है.

लिव इन रिलेशनशिप का पंजीकरण अनिवार्य

समान नागरिक संहिता कानून का तीसरा खंड सहवासी (लिव इन रिलेशनशिप) पर केंद्रित किया गया है।

इसमें लिव इन रिलेशनशिप के लिए पंजीकरण अनिवार्य किया गया है।

यह स्पष्ट किया गया है कि इस अवधि में पैदा होने वाला बच्चा वैध संतान माना जाएगा। उसे वह सभी अधिकार प्राप्त होंगे, जो वैध संतान को प्राप्त होते हैं।

इसमें निषेध डिग्री के भीतर वर्णित संबंधों को लिव इन में रहने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

यह उन पर लागू नहीं होगा, जिनकी रूढ़ी और प्रथा ऐसे संबंधों में उनके विवाह की अनुमति देते हों। यद्यपि ऐसी रूढ़ी और प्रथा लोकनीति और नैतिकता के विपरीत नहीं होनी चाहिए।

युगल में से किसी एक पक्ष के नाबालिग होने अथवा विवाहित होने की स्थिति में लिव इन की अनुमति नहीं दी जाएगी।

लिव इन संबंध कोई भी पक्ष समाप्त कर सकता है। यद्यपि, इस स्थिति में उसे संबंधित क्षेत्र के निबंधक को जानकारी उपलब्ध करानी होगी। साथ ही दूसरे सहवासी को भी इसकी जानकारी देनी होगी।

राज्य के भीतर लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले चाहे उत्तराखंड के निवासी हों अथवा नहीं, उन्हें निबंधक के पास अनिवार्य रूप से पंजीकरण कराना होगा।

पंजीकरण के बाद निबंधक सबंधित युगल को इसका प्रमाणपत्र जारी करेगा। इसके आधार पर संबंधित युगल किराये पर घर, हास्टल अथवा पीजी में रह सकेगा।

लिव इन में रहने वालों में से यदि किसी एक की उम्र 21 वर्ष से कम होने पर इसकी सूचना उसके माता-पिता एवं अभिभावकों को निबंधक द्वारा दी जाएगी।

यही नहीं, यदि कोई युगल संबंध विच्छेद करता है तो इसका भी उसे पंजीकरण कराना होगा।

सजा व जुर्माना, दोनों का प्रविधान

लिव इन में पंजीकरण न कराने पर अधिकतम तीन माह का कारावास और 10 हजार रुपये तक के जुर्माने का प्रविधान है।

वहीं गलत जानकारी देने अथवा नोटिस देने के बाद भी जानकारी न देने पर अधिकतम छह माह के कारावास अथवा अधिकतम 25 हजार रुपये जुर्माना अथवा दोनों हो सकते हैं।

यदि कोई पुरुष महिला सहवासी को छोड़ता है तो महिला सहवासी उससे भरण पोषण की मांग कर सकती है।
विधेयक में लिव इन के लिए अलग से नियम बनाने के लिए राज्य सरकार को अधिकृत किया गया है।

6 फरवरी को सीएम धामी ने पेश किया था विधेयक

बता दें कि 6 फरवरी 2024 को विधानसभा में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने समान नागरिक संहिता, उत्तराखंड-2024 विधेयक पेश कर दिया था। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा सदन में पेश किए गए विधेयक में 392 धाराएं थीं, जिनमें से केवल उत्तराधिकार से संबंधित धाराओं की संख्या 328 थी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here