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यूपी की सबसे बड़ी साइबर ठगी : AKTU में पहले बैंक मैनेजर फिर बना फाइनेंस अफसर और कर दिया 120 करोड़ रुपये का खेल,बैंक को ऐसे दिया झांसा

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UP’s biggest cyber fraud: First he became a bank manager in AKTU, then a finance officer and played a game of Rs 120 crores, he duped the bank like this

लखनऊ: वैसे तो साइबर ठगी के रोज ही मामले सुनने में आते रहते हैं, लेकिन इस बार साइबर शातिरों ने जो किया, उससे सनसनी फैल गई है. सबकुछ इतना सुनियोजित तरीके से किया कि बैंक भी धोखा खा गया. ठगी की यह वारदात कई चरणों में पूरी की गई. जब तक बैंक को संदेह हुआ, साइबर ठग अपना काम पूरा कर चुके थे. मामला लखनऊ में अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी (AKTU) से जुड़ा है. फर्जी कागजात के आधार पर बैंक में खाता खोल जालसाजों ने यूनिवर्सिटी के 120 करोड़ रुपए ट्रांसफर कर लिए. यह यूपी की अब तक की सबसे बड़ी ठगी मानी जा रही है. जानिए कैसे ठगों ने बैंक को अपने झांसे में लेकर 1 अरब से ज्यादा रुपये बड़ी आसानी से पार कर दिए. कैसे इस ठगी का ताना बाना बुना गया.

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हजरतगंज के यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के ब्रांच मैनेजर अनुज सक्सेना ने शिकायत दर्ज करवाई कि बीते 3 जून को डॉक्टर शैलेश कुमार रघुवंशी नाम के एक शख्स का उनके पास 100 करोड़ की एफडी करवाने के लिए कॉल आया था. ठीक उसके बाद किसी जय कुमार उर्फ एनके सिंह नाम के शख्स का भी कॉल आया. जय कुमार नाम बताते हुए शख्स ने अपना परिचय AKTU के वित्त अधिकारी के तौर पर दिया. कहा कि बैंक में खाता खुलवाना है. इस पर मैनेजर ने दोनों को बैंक की ब्रांच में जाने को कह दिया.

लेकिन इसके बाद 4 जून को जय कुमार नाम का शख्स बैंक से आकर एफडी का ऑफर लेटर लेकर चला गया. इसके बाद उसने यूनियन बैंक की फर्जी मेल आईडी क्रिएट की और उस आईडी से AKTU की मेल आईडी पर एफडी का ऑफर लेटर भेज दिया. फिर AKTU की एक फर्जी मेल आईडी बनाकर बैंक की ऑफिशियल मेल आईडी पर एक और ऑफर लेटर की मांग की.

बड़ी आसानी से AKTU के खाते से 120 करोड़ रुपए किए ट्रांसफर

बैंक मैनेजर के मुताबिक, 5 जून को अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी के अधिकृत बैंक खाते से यूनियन बैंक के खाते में 120 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए गए. उसी दिन खुद को यूनिवर्सिटी का वित्त अधिकारी बताने वाले जय कुमार का आदमी अनुराग श्रीवास्तव बैंक आया और मुख्य खाता अधिकारी बताते हुए यूनिवर्सिटी के कुछ फर्जी कागजात के आधार पर यूनिवर्सिटी के नाम से एक अकाउंट खुलवाया. तत्काल एक चेक बुक भी इशू करवा लिया. इसके बाद धीरे-धीरे पूरे 120 करोड़ रुपए गुजरात की श्रद्धा एजुकेशन एंड चैरिटेबल ट्रस्ट में खाते ट्रांसफर कर दिए गए. जब बैंक में 120 करोड़ रुपए कम पाए गए तो इस पूरे लेनदेन की जांच करवाई गई. बैंक को मामला संदिग्ध लगा. इसके बाद बैंक मैनेजर अनुज सक्सेना ने साइबर थाने में एफआईआर दर्ज करवाई. फिलहाल साइबर पुलिस अपराधियों की धड़पकड़ में जुटी है. कुछ आरोपियों को गिरफ्तार भी कर लिया गया है.

गिरफ्तार किए गए लोगों की पहचान गुजरात के देवेंद्र प्रसाद प्रभा शंकर जोशी और उदय पटेल, उन्नाव के राजेश बाबू, लखनऊ के गिरीश चंद्र और शैलेश कुमार रघुवंशी, अमेठी के दस्तगीर आलम और बस्ती जिले के कृष्णकांत के रूप में हुई है। पुलिस ने भुगतान रुकवाकर आरोपियों से 119 करोड़ रुपये बरामद करने में भी सफलता पाई। पुलिस उपायुक्त (पूर्वी) प्रबल प्रताप सिंह ने कहा कि बदमाशों ने छुट्टी पर गए बैंक के शाखा प्रबंधक से संपर्क करके बैंक की ईमेल आईडी हासिल की। ​​बदमाशों ने जानकीपुरम शाखा को एक फर्जी पत्र भेजा, जिसमें AKTU का बैंक खाता है, जिसमें उन्हें विधानसभा मार्ग शाखा में AKTU के एफडी खाते में धन हस्तांतरित करने के लिए कहा गया। डीसीपी ने कहा, “बदमाशों ने AKTU के नाम पर फर्जी FD खाता खोला था।

इसके बाद उन्होंने पैसे को एक कंपनी के खाते में ट्रांसफर कर दिया और करीब ₹1 करोड़ निकाल लिए।” 12 जून को अपनी शिकायत में बैंक मैनेजर अनुज कुमार सक्सेना ने कहा था कि 3 जून को मनाली में घूमने के दौरान उन्हें एक व्यक्ति का फोन आया, जिसने खुद को शैलेश कुमार रघुवंशी बताया और उनसे अपना विजिटिंग कार्ड मांगा, क्योंकि उसे फिक्स्ड डिपॉजिट करना था। सक्सेना ने कहा कि उन्होंने रघुवंशी को बैंक भेजा और बैंक अधिकारी से उनका मामला देखने को कहा। उन्होंने कहा, “अगले दिन मुझे जय सिंह नाम के व्यक्ति का फोन आया, जिसने खुद को AKTU का वित्त अधिकारी बताया और बैंक में FD दर पूछी। अगले दिन उन्होंने जानकीपुरम शाखा से विधानसभा मार्ग शाखा में ₹49 करोड़, ₹49 करोड़ और ₹22 करोड़ ट्रांसफर करवा लिए।” टिप्पणी पोस्ट करेंउन्होंने यह भी कहा कि बैंक को गड़बड़ी का अहसास हो गया है और उसने गुजरात बैंक से, जिसमें ट्रस्ट का बैंक खाता है, भुगतान रोकने का अनुरोध किया है।

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