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श्यामा प्रसाद मुखर्जी की मृत्यु पर आज भी प्रश्नचिह्न, नेहरू ने जांच से कर दिया था मना, जेपी नड्डा ने अर्पित की पुष्पांजलि,

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Question mark still remains on the death of Shyama Prasad Mukherjee, Nehru had refused to investigate, JP Nadda paid floral tribute,

नई दिल्ली। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने रविवार को पार्टी मुख्यालय में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि पर पुष्पांजलि अर्पित की। उन्होंने इस दौरान पौधे भी वितरित किए। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी, दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा, सांसद कमलजीत सेहरावत समेत अन्य नेताओं ने भी डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को उनकी पुण्यतिथि पर पुष्पांजलि अर्पित की।

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मुखर्जी की मौत पर आज भी प्रश्नचिह्न

केंद्रीय मंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने 23 जून को श्रीनगर जेल में संदिग्ध हालत में अंतिम सांस ली। जिस संदिग्ध हालत में उनकी जान गई, वह आज भी हम सभी के लिए एक प्रश्नवाचक चिह्न बनकर रहा है। उनका जीवन एक देशभक्त, शिक्षाविद् और सामाजिक न्याय दिलाने वाले नेता के रूप में हम सब जानते हैं।

वर्तमान पंजाब और बंगाल उन्हीं की देन

नड्डा ने कहा कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी कलकत्ता विश्वविद्यालय के सबसे युवा कुलपतियों में से एक थे। बहुआयामी प्रतिमा के मालिक थे। उन्होंने देशभक्ति के कारण राजनीति में प्रवेश किया और आज हम कह सकते हैं कि वर्तमान पंजाब और वर्तमान पश्चिम बंगाल उन्हीं की देन है। विभाजन के वक्त मुस्लिम लीग ने जब सारा पंजाब और बंगाल लेने की ठानी थी तो उस समय श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जन आंदोलन से जनता को जागृत करने का काम किया था।

एक विचारधारा को समर्पित था पूरा जीवन

जेपी नड्डा ने कहा कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने एक विचारधारा के लिए अपना पूरा जीवन लगाया। वो कभी सत्ता पर बैठने के लिए नहीं आए थे। वे अनेक बार सत्ता में आए और हमेशा विचारधारा के लिए सत्ता को त्यागा। बंगाल में मंत्री पद विचारधारा के लिए त्याग दिया था। पंडित नेहरू की पहली कैबिनेट में मुखर्जी उद्योग मंत्री बने। उन्होंने जवाहर लाल नेहरू के छद्म धर्म निरपेक्षता के खिलाफ आवाज उठाई थी।
नेहरू के सामने मुखर्जी ने जम्मू-कश्मीर का मुद्दा उठाया था और कहा कि कोई कारण नहीं है कि आप अनुच्छेद 370 को लागू करें। इसके बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया और नारा दिया कि एक देश, दो निशान, दो विधान और दो प्रधान नहीं चलेंगे। उन्होंने इस नारे के साथ सत्याग्रह किया।

नेहरू ने जांच से कर दिया था मना

नड्डा ने कहा कि उस समय जम्मू-कश्मीर जाने के लिए अनुच्छेद 370 के तहत पासपोर्ट की व्यवस्था थी। पास बनते थे। श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने पास नहीं लिया था। उन्हें जम्मू-कश्मीर की सीमा पर गिरफ्तार कर लिया गया। लगभग एक महीने बाद उन्होंने जम्मू-कश्मीर की जेल में संदिग्ध परिस्थितियों में अंतिम सांस ली। श्यामा प्रसाद मुखर्जी की माता ने जवाहर लाल नेहरू से जांच की मांग की थी। मगर उन्होंने जांच करने से इंकार कर दिया था।

पीएम मोदी ने साकार किया डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का सपना

उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आज अखंड भारत के स्वप्नदृष्टा डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का ‘बलिदान दिवस’ है। हम सब जानते हैं कि 1947 में भारत आजाद होता है। 1950 में भारत अपना संविधान लागू करता है।

योगी ने कहा कि संविधान लागू करने के बाद तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने संविधान में अनुच्छेद 370 जोड़कर राष्ट्रीय अखंडता को गंभीर चोट पहुंचाने का प्रयास किया था। उस समय डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने उद्योग एवं रसद मंत्री का पद त्याग दिया और देश की प्रतिष्ठा, अखंडता के लिए कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के लिए एक व्यापक आंदोलन शुरू किया।
भारतीय जनसंघ के हजारों कार्यकर्ताओं के साथ उन्होंने कश्मीर सत्याग्रह अभियान शुरू किया था। इसके लिए उन्हें अपने प्राणों की आहुति तक देनी पड़ी। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का सपना आज पीएम मोदी के नेतृत्व में कश्मीर में अनुच्छेद 370 को समाप्त करके साकार हुआ है।

‘मुखर्जी ने अपना सारा जीवन एक विचारधारा के लिए लगाया’

इसके आगे केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने कहा कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने अपना सारा जीवन एक विचारधारा के लिए लगाया. वो कभी सत्ता पर बैठने के लिए नहीं आए थे. नड्डा ने कहा कि अपने विचार के लिए उन्होंने हमेशा सत्ता का त्याग किया. उन्होंने बंगाल में अपने विचारों के कारण की मंत्री पद का त्याग किया था. पंडित नेहरू की कैबिनेट में वह उद्योग मंत्री थे.

‘मुखर्जी जम्मू कश्मीर में धारा 370 लागू करने के खिलाफ थे’

केंद्रीय मंत्री नड्डा ने बताया कि मुखर्जी जम्मू कश्मीर में धारा 370 लागू करने के खिलाफ थे. उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री नेहरू के सामने जम्मू-कश्मीर का मुद्दा उठाया और कहा कि कोई वजह नहीं है कि अनुच्छेद 370 लागू किया जाए. नेहरू के इस मामले को आगे बढ़ाने के मुखर्जी ने अपने पद से इस्तीफा दिया और एक नारा लाया. जिसमें उन्होंने कहा कि एक देश में दो निशान, दो विधान और दो प्रधान नहीं चलेंगे. इसी नारे को लेकर मुखर्जी ने सत्याग्रह किया.

मुखर्जी ने जम्मू-कश्मीर की जेल में आखिरी सांस ली’

इसके आगे जेपी नड्डा ने कहा कि सभी लोग जानते हैं कि उस समय जम्मू-कश्मीर जाने के लिए अनुच्छेद 370 के तहत पासपोर्ट की व्यवस्था थी. पास बनते थे. लेकिन मुखर्जी ने पास नहीं लिया. जिसके बाद उन्हें जम्मू-कश्मीर की सीमा पर रोक कर गिरफ्तार कर लिया गया. उन्होंने बताया कि करीब एक महीने बाद मुखर्जी ने जम्मू-कश्मीर की जेल में आखिरी सांस ली.

‘BJP और जनसंघ ने मुखर्जी की लड़ाई लड़ी’

केंद्रीय मंत्री नड्डा ने बताया कि मुखर्जी की मौत होने के बाद उनकी मां ने पूर्व प्रधानमंत्री नेहरू से मामले की जांच कराने के लिए कहा था. लेकिन पूर्व पीएम ने जांच कराने से साफ इनकार कर दिया था. इसके आगे नड्डा ने कहा कि जिस बात की लड़ाई के लिए मुखर्जी ने बलिदान दिया उस लड़ाई को भारतीय जनसंघ और भारतीय जनता पार्टी ने लड़ा और पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 2019 में धारा 370 को धराशायी कर दिया गया.

 

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