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New Criminal Laws: दिल्ली नहीं, यहां दर्ज हुई पहली FIR; देश में लागू हुए तीन नए आपराधिक कानून ,अमित शाह ने डिटेल में बताया

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New Criminal Laws: First FIR was registered here, not in Delhi; Three new criminal laws implemented in the country, Amit Shah explained in detail

गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को तीन नए कानूनों के अमल में आने का ऐलान किया. उन्होंने कहा, “आजादी के 77 सालों बाद हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली पूर्णत: स्वदेशी और अपनी संस्कृति के अनुरूप होगी. अब दंड की जगह न्याय ले लेगा. सबसे पहले दफाओं और चैप्टर्स की प्राथमिकता तय की गई है और इसमें पहला अध्याय महिलाओं और बच्चों के लिए है”.

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अमित शाह ने आगे कहा, “राजद्रोह को हमने जड़ से समाप्त कर दिया है. पहले सरकार के खिलाफ बयान देना गुनाह था. ये कानून सबसे आधुनिक न्याय प्रणाली का सृजन करेगी”. उन्होंने आगे बताया कि हमने कंप्यूटराइजेशन की प्रक्रिया 99.9 फीसदी पूरी कर ली है. 90 दिन के अंदर पीड़ित को केस का अपडेट ऑनलाइन भेजा जाएगा. ये कानून पीड़ित के पक्ष में बनाया गया है. साथ ही तलाशी या रेड दोनों ही मामलों में वीडियोग्राफी भी की जाएगी.

उन्होंने कहा, “न्याय प्रक्रिया अब संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल सभी भाषाओं में शामिल की जाएगी”
दिल्ली में नहीं ग्वालियर में दर्ज हुआ पहला केस

अमित शाह ने इस बीच स्पष्ट किया कि नए आपराधिक कानूनों के तहत पहला मामला दिल्ली में दर्ज नहीं हुआ है। गृह मंत्री ने कहा कि पहला मामला मध्यप्रदेश के ग्वालियर में दर्ज किया गया था। शाह ने कहा कि दिल्ली के कमला मार्केट थाने में दर्ज मामला नए कानूनों के तहत दिल्ली में दर्ज किए गए पहले मामलों में से एक था।

इस अपराध में दर्ज हुई FIR
शाह ने आगे कहा नए कानूनों के तहत पहला मामला ग्वालियर के एक पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया है। यह चोरी का मामला था, किसी की मोटरसाइकिल चोरी हो गई थी। मामला रात 12 बजकर 10 मिनट पर दर्ज किया गया। वहीं, उन्होंने दिल्ली में दर्ज हुए मामले पर कहा कि इसके लिए पहले भी प्रावधान थे और यह कोई नया प्रावधान नहीं है।

पुलिस ने इसकी समीक्षा करने के लिए प्रावधान का इस्तेमाल किया और उस मामले को खारिज कर दिया। बता दें कि नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के बाहर एक ठेले वाले पर सड़क पर अवरोध पैदा करने की एफआईआर दर्ज हुई थी।
आज से पूरे देश में तीनों नए आपराधिक कानून भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023, और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 लागू हो गए है. इसके साथ ही अंग्रेजों द्वारा बनाए गए तीनों पुराने कानून इंडियन पीनल कोड 1860, क्रिमनल प्रोजीसर कोड (CrPC) 1898, 1973 और इंडियन एवीडेंस एक्ट 1872 कानून समाप्त हो गए.

दंड की जगह न्याय पर आधारित है तीनों कानून
तीन नए क्रिमिनल लॉ को लेकर सरकार का कहना है कि यह तीन नए कानून दंड की जगह न्याय पर आधारित है. ये तीनों कानून अंग्रेजों के जमाने के थे. उन्होंने अंग्रेजी शासन को मजबूत करने और उसकी रक्षा करने के लिए बनाए गए थे. उनका मकसद न्याय नहीं दंड देने का था. मगर भारत का लोकतंत्र न्याय की अवधारणा वाला है और इसी के आधार पर आपराधिक न्याय प्रणाली बनाई गई है. इन तीन नए क्रिमिनल लॉ के लागू होने से भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में कई बदलाव आने की उम्मीद है.

पिछले साल संसद से पास हुआ था तीनों कानून
संसद के दोनों सदनों से पास होने के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने तीनों नए क्रिमिनल लॉ बिल को मंजूरी दी थी.राष्ट्रपति की मंजूरी के साथ ही इन तीनों बिल कानू का रूप ले लिया. 2019 से इन तीनों कानूनों पर काम शुरू हुआ था. संसद में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि पुराने कानूनों का मूल उद्देश्य अंग्रेजी शासन को मजबूत बनाना था. उनका उद्देश्य दंड देने का था, न्याय करने का नहीं. इन तीनों नए क्रिमिनल लॉ का उद्देश्य दंड नहीं, न्याय देना है. यहां दंड, न्याय देने का एक चरण है.

नए कानून में क्या कुछ होगा बदलाव?

आपराधिक मामलों में सुनवाई समाप्त होने के 45 दिनों के भीतर फैसला आएगा.

पहली सुनवाई के 60 दिनों के भीतर आरोप तय किए जाएंगे.

किसी भी मामले में 3 साल में न्याय दिलाने का उद्देश्य है.

नाबालिग से रेप के दोषी को उम्र कैद या फांसी होगी.

गैंगरेप के दोषी को 20 साल तक की सजा या जिंदा रहने तक जेल की सजा.

राजद्रोह अब देशद्रोह होगा.

हत्या की धारा पहले 302 थई अब 101 होगी.

ट्रायल के मामले में किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करने पर पुलिस को उसके परिवार को जानकारी देनी होगी, पहले यह जरूरी नहीं था.

किसी भी मामले में 90 दिनों में क्या हुआ, इसकी जानकारी पुलिस पीड़ितों को देगी.

आरोपी अगर 90 दिनों के भीतर कोर्ट के सामने पेश नहीं होता है तो उसकी गैरमौजूदगी में भी ट्रायल होगा.

आरोपी और पीड़ित दोनों को 14 दिनों के भीतर एफआईआर, पुलिस रिपोर्ट, चार्जशीट की कॉपी पाने का अधिकार है.

केस खत्म होने के बाद जज को 43 दिन के अंदर फैसला देना होगा.

फैसले के 7 दिन के अंदर सजा सुनानी होगी.

कानून में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों पर एक नया अध्याय जोड़ा गया है. इसमें बच्चे को खरीदना या बेचना एक जघन्य अपराध माना गया है. इसके लिए कड़ी सजा का प्रावधान है.

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