जांजगीर चांपा – जिला मुख्यालय जांजगीर के कृषि विज्ञान केंद्र में एक दिवसीय उद्यानकी फसल की संरक्षित खेती करने हेतु प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण में कृषि विज्ञान केंद्र के डॉ राजीव दीक्षित ने जिले के किसानों को उद्यानकी में संरक्षित खेती का प्रशिक्षण दिया। इससे जिले के किसान अब उद्यानिकी संरक्षित खेती कर सकेंगे। वहीं सहायक संचालक उद्यान, रंजना मखीजा ने बताया कि संरक्षित खेती की परिकल्पना भारत में, संरक्षित खेती प्रौद्योगिकी वाणिज्यिक उत्पादन के लिए लगभग तीन दशक ही पुरानी है, जबकि विकसित देशों जैसे जापान, रुस, ब्रिटेन, चीन, हॉलैंड और अन्य देशों में दो सदी पुरानी है। इजराइल एक ऐसा देश है जहां किसानों ने अच्छी गुणवत्ता वाले फल, फूल और सब्जियों को कम पानी वाले रेगिस्तानी क्षेत्रों में उगाकर इस तकनीक से अच्छे उत्पादन के साथ बढ़िया मुनाफा भी कमा रहे हैं। हॉलैंड ने पॉलीहाउस की उन्नत तकनीक विकसित करके दुनिया के फूल निर्यात जगत में 70 प्रतिशत का योगदान दिया है।
संरक्षित खेती नवीनतम् तकनीक की वह संरचना है, जिसमें एक नियंत्रित वातावरण के अंर्तगत मूल्यवान फसलों की खेती की जाती है। ये संरक्षित संरचनाएं कीट अवरोधी नेट हाउस, ग्रीन हाउस, नवीनतम् तकनीक से लैस पॉलीहाउस, प्लास्टिक लो-टनल, प्लास्टिक हाई-टनल, प्लास्टिक मल्चिंग और ड्रिप सिंचाई तकनीक आदि प्रकार की होती हैं।
इस मौके पर के.पी. खरे फार्म प्रबंधक,
संदीप जयसवाल ने जिले के प्रगतिशील किसान शिवनाथ लहरे, सहित बड़ी संख्या जिले के किसान उपस्थित थे।