जशपुर जिले एक बार पुनः समस्त भारतवर्ष की जनता ने अपने राष्ट्र के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के “मन की बात” कार्यक्रम को सुना, ज्ञातव्य हो आज प्रधानमंत्री महोदय के “मन की बात” कार्यक्रम का 108 वां एपिसोड था !
वैसे तो देश के प्रधान सेवक माननीय नरेन्द्र मोदी हर बार बातों ही बातों में देश की जनता को बहुत कुछ दे जाते हैं पर इस बार “मन की बात” कार्यक्रम छत्तीसगढ़ प्रदेश और खासकर जशपुर जिले के लिए एक खास सौगात देकर गया !
दरअसल “घर वापसी अभियान” के नायक भारतीय जनता पार्टी प्रदेश मंत्री युवाओं के ऊर्जा स्रोत कुमार प्रबल प्रताप सिंह जुदेव जी ने माननीय मोदी जी से बातों ही बातों में प्रदेश और खासकर जशपुर क्षेत्र में निवासरत उरांव आदिवासी समुदायों में बोले जाने वाले भाषा “कुड़ुख” को लेकर कुछ निवेदन किया था !
बहरहाल आप पहले वनांचल क्षेत्र में “कुड़ुख भाषा” की महत्ता को समझिए, कुड़ुख भाषा का प्रयोग वनांचल क्षेत्र में निवासरत लगभग 80% लोग करते हैं ! ऐसा नहीं है कि सभी समुदायों में कुड़ुख भाषा प्रचलित है अपितु वनांचल क्षेत्र में उरांव आदिवासी समुदाय की बाहुल्यता के चलते हाट बाजार करने वाले व्यापारी और आम लोग भी इस भाषा का खुलकर प्रयोग और समर्थन करते हैं !
बस इन्हीं सब बातों को गौर करते हुए युवा हृदय सम्राट “प्रबल बाबा” ने देश के यशस्वी प्रधानमंत्री जी से कुड़ुख भाषा को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान देने की इल्तिज़ा की थी जिसे प्रधानमंत्री महोदय ने सहर्ष ही स्वीकारा जिसका खुलासा आज के मन की बात कार्यक्रम में हुआ !
दरअसल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने अपने मन की बात को आमजनों से साझा करते हुए “कुड़ुख भाषा” को राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने के ध्येय से विद्यालयीन पाठ्यक्रमों में शामिल करने की बात कही !
जिस प्रकार से प्रधानमंत्री महोदय ने “कुड़ुख भाषा” लेकर अपने विचार व्यक्त किए हैं उससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि हिन्दू कुल तीलक कुमार प्रबल प्रताप सिंह जुदेव जी ने किस सहजता से कुड़ुख भाषा की बारिकियों को प्रधानमंत्री महोदय के दिलों दिमाग में सहेजा था !
बहरहाल कुमार प्रबल प्रताप सिंह जुदेव अपने समस्त कर्तव्यों की निर्वहन बहुत ही सरलता और सहजता से कर रहे हैं, जिससे कारण जशपुर की जनता का सीना गर्व से ऊंचा हो रहा है, मोदीजी की दरियादिली देखिए पहले तो प्रदेश को जशपुर से मुखिया दिया और अब सबसे ज्यादा जशपुर में बोले जाने वाले क्षेत्रीय भाषा “कुड़ुख” को राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने की शुरुआत करने का वादा !