Supreme Court bans survey in Shahi Idgah Mosque of Mathura, asks to hear petition of mosque side
नई दिल्ली। मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मस्थान मंदिर से सटी शाही ईदगाह मस्जिद का अभी कोर्ट कमिश्नर सर्वे नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस सर्वे पर आज रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट से कहा है कि वो इस मामले की ग्राह्यता संबंधी मस्जिद पक्ष की याचिका को भी सुने। मस्जिद पक्ष का कहना है कि प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट के खिलाफ सर्वे का आदेश दिया गया है। मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद का प्रबंधन देखने वाली कमेटी ने कोर्ट कमिश्नर सर्वे के इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी।
उन्होंने कहा कि मुकदमे के संबंध में प्रथम दृष्टया संतुष्टि होनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुस्लिम पक्ष के आवेदन पर नोटिस जारी कर रहे हैं. यह कानूनी पहलू का मामला है. बता दें कि मथुरा में 13.37 एकड़ जमीन पर विवाद है. करीब 11 एकड़ पर श्रीकृष्ण जन्मस्थान मंदिर है. 2.37 एकड़ जमीन पर शाही ईदगाह मस्जिद है. औरंगजेब ने 1669-70 में शाही ईदगाह का निर्माण कराया था. दावा है कि उसने श्रीकृष्ण जन्मस्थली पर बने प्राचीन केशवनाथ मंदिर को तोड़कर निर्माण कराया था.
1935 में हाई कोर्ट से 13.37 एकड़ विवादित भूमि बनारस के राजा को अलॉट किया था. 1951 में श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट ने ये भूमि अधिग्रहित कर ली थी. 1968 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ-शाही ईदगाह कमेटी में समझौता हुआ था. याचिका दायर कर शाही ईदगाद की जमीन हिंदू पक्ष को देने की मांग की गई थी. याचिका में 1968 में हुए समझौते को भी रद्द करने की मांग की गई थी.
किसने दायर की थी हाईकोर्ट में याचिका
यह याचिका भगवान श्री कृष्ण विराजमान और सात अन्य लोगों द्वारा अधिवक्ता हरिशंकर जैन, विष्णु शंकर जैन, प्रभाष पांडेय और देवकी नंदन के जरिए दायर की गई थी. जिसमें दावा किया गया है कि भगवान कृष्ण की जन्मस्थली उस मस्जिद के नीचे मौजूद है और ऐसे कई संकेत हैं जो यह साबित करते हैं कि वह मस्जिद एक हिंदू मंदिर है.
याचिका में क्या था दावा
हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन के अनुसार हाईकोर्ट में दायर याचिका में दावा किया गया था कि वहां कमल के आकार का एक स्तंभ है जोकि हिंदू मंदिरों की एक विशेषता है और शेषनाग की एक प्रतिकृति है जो हिंदू देवताओं में से एक हैं और जिन्होंने जन्म की रात भगवान कृष्ण की रक्षा की थी.