*मेरी माँ कर्मा हिंदी, धार्मिक फ़िल्म को टैक्स फ़्री किया जाना चाहिए – विधायक इन्द्र साव*
सौरभ बरवाड़@भाटापारा- नगर साहू समाज के तत्वाधान में स्थानीय भामाशाह चौक के पास साहू छात्रावास भवन में समाज के नवनिर्मित भवन का लोकार्पण विधायक इन्द्र साव द्वारा दिनांक 10 मार्च 2024 को किया गया। इसी के साथ फिल्म मेरी माँ कर्मा (हिंदी धार्मिक फ़िल्म) जो देश के कई सिनेमा घरों में 05 अप्रैल 2024 से प्रसारित होगा। इसको लेकर नगर के साहू समाज द्वारा एक कार्यक्रम भी यहां रखा गया था। जिसमें समाज के प्रबुद्ध लोगों ने हिस्सा लेते हुए, सभी ने एक स्वर में इस फिल्म को देखने व इसका प्रचार/प्रसार करने की सभी सामाजिक बंधुओं एवं सर्वसमाज के लोगों से अपील की। इस अवसर पर यहां उपस्थित भाटापारा विधायक इन्द्र साव ने भी इस फिल्म का प्रचार करने व सभी वर्ग के लोगों को देखने का अनुरोध किया। इस अवसर पर इस फिल्म के निर्माता एवं निर्देशक द्वय डी.एन. साहू एवं यू.के. साहू भी उपस्थित थे। विधायक इन्द्र साव ने अपने उद्बोधन में माता कर्मा के जीवन वृत्तांत पर प्रकाश डालते हुए कहा कि माता कर्मा को साहू समाज की इष्ट देवी के रूप में पूजा जाता है। मां कर्मा को मारवाड़ की मीरा भी कहां जाता है। वे भगवान की अनन्य भक्त थी और श्री कृष्ण ने उन्हें साक्षात दर्शन दिये थे। राजस्थान के नागोर जिले की मकराना तहसील में एक गांव है कालवा। इस गांव में जीवन राम डूडी के घर 1615 में एक बेटी का जन्म हुआ भगवान की बहुत मन्नते मांगने के बाद इनका जन्म हुआ था। बचपन से ही उनमें भक्ति भाव के संस्कार थे। जीवनराम स्वयं भी धार्मिक पुरूष थे और वे अपनी बेटी से बहुत स्नेह रखते थे। इसी माहौल में कर्मा 13 वर्ष की हो गई। एक बार जीवनराम को कार्तिक पूर्णिमा स्नान के लिए पुष्कर जाना था। उनकी पत्नी भी उनके साथ जा रही थी। वे कर्मा को भी अपने साथ ले जाना चाहते थे लेकिन एक समस्या आ गई, उनके अनुपस्थिति में भगवान को भोग कौन लगाता ? इसलिए उन्होंने कर्मा को यह जिम्मेदारी सौंपी। उन्होंने कर्मा से कहां तुम सुबह भगवान को भोग लगाना और उसके बाद ही भोजन करना। कर्मा ने सुबह स्नान आदि कर बाजरे का खिचड़ा बनाया। उसमें खुब घी डाला और पूजा के लिए भगवान की मूर्ति के पास आ गई। थाली सामने रखी और हाथ जोड़कर बोली, हे प्रभु भूख लगे तब भोग लगा लेना, तब तक मैं घर के और काम कर लेती हूं। इसके बाद वह काम में जूट गई। बीच-बीच में यह थाली देखने आती लेकिन भगवान ने खिचड़ा नहीं खाया। कुछ समय बाद भगवान कृष्ण, कर्मा की जिद के आगे झुक गये एवं उनका बनाया खिचड़ा खाया। यह क्रम अनवरत बहुत समय तक चला। जीवन के अंतिम दिनों में कर्मा जगन्नाथ के नगरी चली गई और वहीं रहने लगी। वहां रोज भगवान को खिचड़े का भोग लगाती और भगवान उनके हाथ से खिचड़ी खाने आते। आज भी भगवान जगन्नाथ को खिचड़ी का ही भोग लगाया जाता है। उक्त जीवन वृतांत को विधायक इन्द्र साव द्वारा बताते हुए हिंदी फिल्म मेरी माँ कर्मा को टैक्स फ्री करवाने हेतु महामहिम राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री छ.ग. शासन को पत्र लिखने की बात कही जिससे आम जन मानस माता कर्मा के जीवन चरित्र का अनुसरण कर सकें व माता कर्मा के जीवन वृत्तांत को जान सके।
इस अवसर पर राष्ट्रीय स्टार प्रचारक कृपाराम साहू, सुरेंद्र साहू पूर्व महासचिव जिला साहू संघ, प्रांतीय स्टार प्रचार वीणा साहू, सती साहू, नारायण साहू, मनीराम साहू, तिलक साहू, अमृत साहू, जिला स्टार प्रचारक जीत नारायण साव, पीला राम साहू, लिकेश साहू, नभ नारयण साहू, लखन साहू, देवेन्द्र साहू, लोकचंद साव, कल्याणी साहू, रमा साहू,कमला साहू, प्रमिला साहू, नीरा देवी साहू, कामना साहू, राजेश्वरी साव, राजलक्ष्मी साहू, इंद्राणी सांची साहू, मानकुंवर साहू, चित्रलेखा साहू, हेमलता साहू, रवि साहू, दुर्गा प्रसाद साहू, राजेश साहू, नंदू साहू, संतोष साहू एवं नगर साहू समाज के पदाधिकारीगण एवं वार्ड प्रमुखों के साथ ही साथ भारी संख्या में सामाजिकजन शामिल रहें।