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DMRC मामले में सुप्रीम कोर्ट से अनिल अंबानी के लिए आई बुरी खबर, कर्ज में डूबे अनिल अंबानी के हाथ से निकले 8,000 करोड़! ,20% तक लुढ़का शेयर

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Bad news for Anil Ambani from Supreme Court in DMRC case, debt ridden Anil Ambani lost Rs 8,000 crore! Shares fell by 20%

एशिया के सबसे अमीर इंसान मुकेश अंबानी (Asia’s Richest Mukesh Ambani) के छोटे भाई अनिल अंबानी का कारोबार बीते कुछ दिनों में वापसी करता हुआ नजर आ रहा था और उनकी कंपनियों के शेयर तूफानी तेजी से भाग रहे थे. लेकिन बुधवार को उनके लिए एक बुरी खबर आ गई और ये झटका अनिल अंबानी को सुप्रीम कोर्ट की ओर से लगा. Supreme Court ने उनकी कंपनी को दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (DMRC) द्वारा दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस प्राइवेट लिमिटेड (DAMEPL) को दी गई ऑरिजिनल आर्बिट्रल अवॉर्ड की पूरी राशि चुकाने का निर्देश दिया है. इस खबर के तुरंत बाद Reliance Infra का शेयर भर-भराकर टूटा और इसमें लोअर सर्किट लग गया.

 

20% गिरा रिलायंस इंफ्रा का स्टॉक

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के चलते रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर का शेयर औंधे मुंह जा लुढ़का है. स्टॉक में 20 फीसदी के गिरावट के साथ लोअर सर्किट लग गया है. 56.90 रुपये की गिरावट के साथ शेयर फिलहाल 227.6 रुपये पर है. कंपनी का मार्केट कैप 9015 करोड़ रुपये पर आ गया है.

मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ के अगुवाई वाली बेंच ने अपने फैसले में डीएमआरसी की तरफ से जमा किए गए रकम को लौटाने के आदेश दिए हैं. उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता की ओर से कार्रवाई के तहत जमा कराये गए रकम को लौटाना होगा. अपने फैसले को सुरक्षित रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने डीएमआरसी को क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल करने की इजाजत दे दी है. बेंच ने हालांकि आगाह करते हुए कहा इसका इस्तेमाल ऐसी याचिकाओं के द्वार खोलने के लिए नहीं किया जाना चाहिए.Reliance Infra और DMRC के बीच विवाद तब शुरू हुआ, जब साल 2012 में दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो ने Delhi Metro की कमियों का हवाला देते हुए एग्रीमेंट तोड़ दिया था.

जानिए क्या है पूरा मामलाः

दरअसल साल 2008 में दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस लाइन को बनाने, उसको संचालन, और रखरखाव के लिए रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर की DAMEPL और DMRC के बीच किया गया था। साल 2012 में दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो की ओर से इस एग्रीमेंट को खत्म कर दिया गया था, क्योंकि ये दावा किया गया था कि उसकी तरफ से बताई गए कुछ कमियों को DMRC की ओर से ठीक नहीं किया गया था। 2017 में, एक आर्बिट्रल ट्रिब्यूनल ने माना था कि चार साल पहले दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस लाइन परियोजना के लिए अपने कंसेशन एग्रीमेंट को खत्म करने का कंपनी का फैसला बिल्कुल वैध था, और इस केस में इसने ब्याज के साथ 2,950 करोड़ रुपये की रकम भी जीती थी। इसके बाद, दोनों ही कई मुकदमों से गुजरे और साल 2021 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार पर इस रकम को अंतिम रूप दिया गया था। ब्याज समेत मध्यस्थता की रकम पिछले साल बढ़कर लगभग 8,000 करोड़ रुपये हो गई थी। अब तक, शुद्ध वसूली योग्य राशि 4,700 करोड़ रुपये से ज्यादा की है।

DMRC की क्यूरेटिव याचिका स्वीकार

इस मामले में मध्यस्थता पंचात ने पहले DAMEPL के पक्ष में फैसला सुनाया था, जिसे चुनौती देते हुए डीएमआरसी हाई कोर्ट पहुंची थी, जहां बेंच ने मध्यस्थता पंचाट के आदेश को रद्द कर दिया था. इसके बाद अनिल अंबानी की कंपनी के साल 2021 में सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, जहां अनिल अंबानी के पक्ष में फैसला सुनाते हुए ऑरिजिनल आर्बिट्रल अवार्ड को बरकरार रखा गया. इस पर DMRC ने क्यूरेटिव याचिका दाखिल की थी, जिसे बुधवार को मंजूरी दे दी गई. ऑरिजिनल आर्बिट्रल अवॉर्ड की राशि अब तक बढ़कर 8000 करोड़ रुपये हो गई है. जो DAMEPL अब DMRC को लौटाएगी.

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