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Explainer: IMD को क्यों नहीं हो रहा भरोसा दिल्ली का टेंपरेचर 52.9 डिग्री सेल्सियस?

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Explainer: Why is IMD not believing that Delhi’s temperature is 52.9 degrees Celsius?

दिल्ली में गर्मी ने सारे रिकॉर्ड तोड़ डाले. 29 मई को मुंगेशपुर में 52.9 डिग्री सेल्सियस टेंपरेचर रिकार्ड किया गया. हालांकि उसी दिन दिल्ली की दूसरी जगहों पर तापमान 46 से 49.9 डिग्री सेल्सियस के आसपास था. यानी मुंगेशपुर से 6 से 7 डिग्री कम. उदाहरण के तौर पर राजघाट का तापमान 45.5 डिग्री सेल्सियस था तो लोधी रोड का 46.02 डिग्री सेल्सियस.
जबकि दिल्ली के सफदरजंग मौसम केंद्र ने अधिकतम तापमान 46.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया. शहर के मौसम अधिकारी तब हैरान रह गए जब मुंगेशपुर ने 52.9 डिग्री की जानकारी दी, जिसके बाद आईएमडी ने अपने सेंसर में संभावित गलतियों के लिए इलाके में स्वचालित मौसम स्टेशन की जांच की.
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने कहा कि हरियाणा, दिल्ली, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के शहरों और कस्बों में अधिकतम तापमान 47 डिग्री सेल्सियस से अधिक रहा, जबकि रोहतक और प्रयागराज में 48.8 डिग्री तापमान दर्ज किया गया, जो देश में बुधवार को दर्ज किया गया सबसे अधिक तापमान है. आईएमडी के अनुसार, उत्तर प्रदेश के प्रयागराज और हरियाणा के रोहतक दोनों ने इस महीने के अब तक के सबसे अधिक अधिकतम तापमान का रिकॉर्ड तोड़ दिया.

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कैसे रिकॉर्ड होता है दिल्ली का टेंपरेचर?

मौसम विभाग ने दिल्ली में कुल 5 क्लाइमेट स्टेशन बनाए हैं, जो लगातार मौसम से जुड़ी जानकारी देते रहते हैं. ये स्टेशन सफदरजंग, पालम, लोधी रोड, रिज एरिया और आया नगर में हैं. इसके अलावा IMD ने साल 2022 की गर्मी में दिल्ली-एनसीआर की कुल 15 जगहों पर ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन (AWS) इंस्टॉल किये थे. ये स्टेशन प्रगति मैदान, पूसा, इग्नू, केवीके सीआरपीएफ कैंपस, केंद्रीय विद्यालय नारायणा, फार्मा साइंस एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट, सलवान पब्लिक स्कूल, एयर फोर्स स्टेशन हिंडन, केंद्रीय विद्यालय कमला नेहरू नगर, मुंगेशपुर, नरेला, पीतमपुरा, आयानगर, जाफरपुर, नजफगढ़ और उज्मा केवीके में बने हैं.

दिल्ली में क्यों पड़ रही है इतनी गर्मी?

आखिर दिल्ली में इस बार इतनी गर्मी क्यों पड़ रही है? मौसम विभाग के मुताबिक इसके पीछे कई फैक्टर हैं. पहला फैक्टर है हाईराज बिल्डिंग, सड़कें, पार्किंग एरिया और फुटपाथ. जिन इलाकों में इस तरह की ठोस इमारतें और ड्राई सरफेस वाले स्ट्रक्चर ज्यादा होते हैं, वहां कम छाया और नमी होती है. इससे तापमान बढ़ता है. दूसरा फैक्टर है इस तरह के इंफ्रास्ट्रक्चर में यूज होने वाला मैटेरियल, जिसका टेंपरेचर बढ़ाने में बड़ा योगदान होता है. एक्सपर्ट्स कहते हैं कि अगर किसी इलाके में कंक्रीट वाली इमारतें, सड़क या फुटपाथ ज्यादा है तो वहां का तापमान अधिक होगा ही. क्योंकि कंक्रीट हवा की तुलना में 2000 गुना ज्यादा गर्मी सोखता है और तापमान बढ़ाता है. बड़ी-बड़ी इमारतें (हाईराइज बिल्डिंग) हवा को नीचे तक आने से भी रोकती हैं, जो सरफेस टेंपरेचर बढ़ाता है.
तीसरा फैक्टर है उस इलाके का पापुलेशन. अगर कोई इलाका बहुत घना है और वहां की आबादी ज्यादा है तो भी उस इलाके का तापमान बढ़ जाता है. चौथा फैक्टर है कि अगर किसी इलाके में शॉपिंग मॉल और कमर्शियल बिल्डिंग कॉम्प्लेक्स ज्यादा हैं तो वहां एयर कंडीशन के चलते लोकल टेंपरेचर ज्यादा होगा, क्योंकि एसी के चलते वातावरण में बहुत ज्यादा गर्मी घुलती है.

राजस्थान से आने वाली गरम हवाएं

नॉर्थ और सेंट्रल इंडिया के तमाम राज्य भीषण हीट वेव (Heat Wave in India) का सामना कर रहे हैं. दिल्ली उन राज्यों में है, जो हीट वेव से सबसे ज्यादा प्रभावित है. एक्सपर्ट्स कहते हैं कि दिल्ली के बाहरी इलाके राजस्थान की तरफ से आने वाली गर्म हवाओं का सबसे पहले सामना करते हैं. जैसे मुंगेशपुर, नरेला नजफगढ़, आदि. ऐसे में स्वभाविक है कि इन इलाकों का तापमान दिल्ली के अंदरूनी इलाकों के मुकाबले थोड़ा ज्यादा होगा. 29 मई को मुंगेशपुर का टेंपरेचर, दिल्ली के दूसरे इलाकों के मुकाबले ज्यादा होने का यह भी एक कारण हो सकता है.

IMD को क्यों शक?

दिल्ली में इस साल पिछले कई साल के मुकाबले ज्यादा गर्मी पड़ रही है, लेकिन इंडियन मेट्रोलॉजिकल डिपार्टमेंट (IMD) को अभी भी शक है कि यहां टेंपरेचर 52.9 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया. आईएमडी डेटा वेरीफाई कर रही है. उसका कहना है कि संभवत: सेंसर में खराबी के चलते या लोकल फैक्टर की वजह से इतना ज्यादा टेंपरेचर रिकॉर्ड किया गया. मौसम विभाग के एक पूर्व वैज्ञानिक कहते हैं कि हमारे मोबाइल में वेदर या टेंपरेचर ऐप जो तापमान दिखाता है, वह सबसे नजदीकी वेदर स्टेशन का होता है. जरूरी नहीं है कि वह IMD के क्लाइमेट स्टेशन का ही हो.
वह ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन (AWS) का डाटा भी हो सकता है. मान लीजिये आप दिल्ली में पीतमपुरा से राजघाट के बीच ट्रेवल कर रहे हैं तो आपके फोन पर अलग-अलग तापमान दिखाई दे सकता है. ऐसे में मुंगेशपुर के टेंपरेचर को पूरी दिल्ली का टेंपरेचर नहीं कह सकते.

क्या होते हैं ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन

हिंदुस्तान के अलग-अलग इलाकों में ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन लगाए गए हैं. ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन में कुछ सेंसर्स होते हैं जो अपने आप अपना काम 24 घंटे करते रहते हैं. वह चार पैरामीटर पर रीडिंग नोट करते हैं, जो तापमान, हवा की किस दिशा से हवा चल रही है, हवा की गति और रेनफॉल है. यह चार पैरामीटर यह हर 30 मिनट में इनकी रीडिंग लेकर के मेट डिपार्टमेंट को भेजते हैं और वह प्रकाशित मेट डिपार्टमेंट की वेबसाइट पर की जाती है. दिल्ली में ऐसे 15 लगे हुए हैं.

क्या होती है मैनुअल ऑब्जर्वेटरी

तापमान, हवा की किस दिशा से हवा चल रही है, हवा की गति और रेनफॉल को मैनुअल ऑब्जर्वेटरी में भी नापा जाता है, जोकि हर 3 घंटे में होती है. यह पूरा डाटा पुणे नेशनल डाटा सेंटर में जाता है. वहां से लाइव टेंपरेचर एक रीडिंग मिलती रहती है. मैनुअल ऑब्जर्वेटरी सफदरजंग, पालम, लोधी रोड, रिज और आयानगर में है. इसी डाटा के आधार पर मौसम विभाग ने बुधवार के तापमान को लेकर कहा था कि या तो वह स्टेबल है या डिप है. मैनुअल ऑब्जर्वेटरी में टेंपरेचर या तो उतना ही रहा या तो कुछ घट गया, जैसे पालम में 47 डिग्री था और 47 डिग्री बुधवार को भी रहा. लोधी रोड की ऑब्जर्वेटरी में 46.2 था और 46.2 ही रहा है. रिच में 47.5 था और 47.3 हो गया. आयानगर में 47.6 था और 46.8 हो गया.

 

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