Srijani Banerjee brought glory to Chhattisgarh, increased the respect of teachers
रायगढ़ । कहावत है कि पूत के पांव पालने में ही पहचाने जाते हैं । यह कहावत निवेदिता और स्नेहाशीष बैनर्जी की सुपुत्री सृजनी बैनर्जी पर सोल्हों आने खरे उतरते है । बाल्यकाल से ही नृत्य के प्रति अनुरक्त सृजनी शास्त्रीय नृत्य की विधा भरतनाट्यम में अपने विलक्षण प्रतिभा से अपने माता पिता और परिजनों को ही नहीं बल्कि अपने गुरुद्वय डॉक्टर राखी रॉय और नैनिका कासलीवाल को भी चकित करती रही है । पिछले वर्ष देश की प्रख्यात संस्था नृत्यधाम,भिलाई, हैम्स सोसाइटी , कोलकाता और भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के संयुक्त तत्वावधान में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयोजित नृत्य संगीत प्रतियोगिता में सृजनी ने भरतनाट्यम के मिड लेवल में प्रथम पुरस्कार जीत कर सबको चकित कर दिया था। इतना ही नहीं सेमी क्लासिकल डांस में भी सृजनी ने द्वितीय स्थान प्राप्त कर निर्णायकों को अचंभे में डाल दिया था । यह नृत्य के प्रति सृजनी के पूर्ण समर्पण और अटूट निष्ठा से ही संभव हो पाया । अपने माता पिता और गुरुजनों के मस्तक को गर्व से ऊंचा करने की अपार खुशी का क्षण देती हुई सृजनी ने भोपाल में आयोजित अखिल भारतीय सांस्कृतिक छात्रवृत्ति प्रतियोगिता में 1000 से अधिक प्रतियोगियों के बीच अपना परचम लहराया । पूरे छत्तीसगढ़ से मात्र 2 प्रतिभागियों ने इस प्रतियोगिता में जीत हासिल की , उनमें एक सृजनी बैनर्जी हैं । डी पी एस, बिलासपुर के कक्षा 8 वीं, सेक्शन डी की छात्रा सृजनी ने इतनी कम उम्र में यह प्रतिष्ठित छात्रवृत्ति प्रतियोगता जीत कर छत्तीसगढ़ का नाम अखिल भारतीय स्तर पर रोशन किया । तांडव और लास्य की अवधारणाओं पर आधारित भरतनाट्यम नृत्य की सबसे प्राचीन और कठिन विधाओं में से है जिसकी बारीकियां सृजनी ने अपनी गुरु डॉक्टर राखी रॉय और नैनिका कासलीवाल से सीखी हैं ।सटीक चाल, तेज धार और अभिव्यंजक शारीरिक भाषा में सृजनी का कोई मुकाबला नहीं। भरतनाट्यम के नौ रसों प्रेम , हंसी, करुणा, क्रोध, साहस, भय ,घृणा , आश्चर्य और शांति के
भावों को रागपूर्ण और जीवंत तरीके से दर्शाने में सृजनी कोई कसर नहीं छोड़ती है। सृजनी की नृत्य के प्रति लगाव और समर्पण का आपको इसी से अंदाजा हो जाएगा और आप आश्चर्य के सागर में गोते लगाने के लिए विवश हो जायेंगे कि सृजनी ने अब तक की नृत्य यात्रा में अपने गुरुओं से ऑन लाइन ही प्रशिक्षण प्राप्त किया है । अपनी अनवरत साधना के बल पर सृजनी निरंतर भरतनाट्यम के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को हासिल करती जा रही है । नृत्य के इस दैदीप्यमान सितारे को नमन है।
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