Yogi government’s paper leak law will be strict in Uttar Pradesh, the culprits will get life imprisonment and a fine of Rs 1 crore
उत्तर प्रदेश में प्रतियोगी परीक्षाओं में पेपर लीक जैसे मामलों को रोकने के लिए यूपी की योगी सरकार मसौदा तैयार किया है. इसके जरिए योगी सरकार राज्य में पेपर लीक और साल्वर गैंग जैसी गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाएगी अब इसका ऐलान खुद यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी कर दिया है.
परीक्षाएं पारदर्शी तरीके से हो इसलिए कानून बनाए जा रहे है. वहीं इस नए कानून के तहत आरोपियों को उम्रकैद की सजा और 10 करोड़ रुपए जुर्माने का प्रावधान है. आरोपी की संपत्ति कुर्क करने का भी नियम बनाया गया है. पेपर लीक मामले में आरोपियों को जल्दी सजा मिले, इसके लिए हर आरोपी का कोर्ट में अलग ट्रायल कराया जा रहा है. गुजरात और उत्तराखंड मे
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पेपर की सरकार पेपर लीक को लेकर अब सख्त नजर आ रहे हैं। सरकार ने पेपर लीक की घटनाओं को देखते हुए इससे सख्ती से बरतने का फैसला किया है। जानकारी के मुताबिक, सरकार पेपर लीक को लेकर सख्त कानून बनाने जा रही है। इसके लिए सरकार ने खाका भी तैयार कर लिया, जिसको वह जल्द धरातल पर लागू कर देगी। यूपी में युवाओं को नौकरी देने के लिए परीक्षाओं की फूलप्रूफ व्यवस्था की जाएगी, जिसके बाद पेपर लीक की समस्या से निजात पाया जा सकेगा।
8 भर्ती परीक्षा के हो चुके पेपर लीक
जानकारी के मुताबिक, यूपी में पिछले 7 सालों में 8 भर्ती परीक्षा के पेपर लीक हो चुके हैं, जिसमें RO/ARO, UPSSSC, PET और UPTET के पेपर लीक की घटनाएं भी शामिल हैं, अब इस पर रोक लगाने क लिए योगी सरकार काफी सख्त हो गई है। सरकार जल्द ही एक पेपर लीक कानून लाने जा रही है। इस कानून के तहत पेपर लीक मामले में संलिप्त दोषियों पर 10 करोड़ तक जुर्माना लग सकता है, साथ ही दोषी को उम्रकैद की सजा भी हो सकती है।
साथ ही इसमें यह भी प्रावधान किया जा रहा है कि अगर आरोपी पर गैंगस्टर एक्ट लगा तो उसकी संपत्ति पर बुलडोजर चलेगा। साथ ही इन मामलों में दोषियों को जल्द सजा मिले, इसे लिए हर आरोपी को कोर्ट में अलग से ट्रायल होगा। पेपर लीक कानून के लिए सरकार ने मसौदा तैयार कर लिया है।
अभी पेपर लीक रोकने के लिए कानून
प्रदेश में अभी पेपर लीक के आरोपी आसानी से जमानत पर छूट जाते हैं। इसकी बड़ी वजह है, सख्त कानून का न होना। साल 1998 में बने कानून के तहत ही अभी राज्य में कार्रवाई की जाती है। ऐसे में, आरोपियों को कड़ी सजा का कोई डर नहीं रहता है और वे बेबाकी से युवाओं की जिंदगी से खिलवाड़ करते हैं।