- मशहूर यूट्यूबर एल्विश यादव स्नेक वेनम सप्लाई केस में फंस गए हैं
- एनडीपीएस एक्ट की धारा 27 ए की वजह गिरफ्तारी हो गई आसान
- कुछ महीनों तक जमानत मिलना मुश्किल, 20 साल तक हो सकती है सजा
मशहूर यूट्यूबर और बिग बॉस विजेता एल्विश यादव को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है। दरअसल, एल्विश यादव को नोएडा पुलिस ने पूछताछ के लिए बुलाया था, जिस दौरान उसने अपना गुनाह कबूल कर लिया है कि वह सांपों का जहर मंगवाता है। इस मामले में एक अन्य आरोपी से भी संपर्क किया गया है।
एल्विश यादव को जमानत दिलाने के लिए उनके वकील हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक चक्कर लगा रहे हैं। दरअसल एल्विश के लिए NDPS एक्ट की धारा-27A परेशानी की सबब बन गई है। एल्विश यादव से पहले शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान और सुशांत सिंह राजपूत के केस में रिया चक्रवर्ती पर भी यहीं धारा लगाई गई थी। इस खबर में हम आपको बताएंगे कि NDPS एक्ट क्या है, कब लगता है और इससे जुड़े सजा के क्या प्रावधान है।
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क्या है NDPS एक्ट?
NDPS का पूरा नाम नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (Narcotics Drugs And Psychotropic Substances) है। इस एक्ट के तहत नशीली दवाइयों इस्तेमाल या नशीली पदार्थ के उत्पादन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है।
इसके अलावा, यदि कोई शख्स किसी भी प्रकार के नशीले पदार्थों के निर्माण, खेती, कब्जा, ब्रिकी, खरीद या सेवन करने जैसे गतिविधियों में शामिल होता है, तो उनके खिलाफ भी एक्शन लिया जाता है। ये एक्ट फिलहाल एल्विश यादव पर रेव पार्टी में सांपों के जहर सप्लाई करने की वजह से लगाया गया है। जो उनके लिए परेशानी की वजह बनता जा रहा है।
सबसे ज़्यादा इस्तेमाल होनेवाले ड्रग्स
नशा करनेवाले लोग अमूमन उन नशों का इस्तेमाल करते हैं, जो कोका के पौधे से बनते हैं. कोकीन, अफीम, अफीम को पौधे के फल यानी डोडा, ये सभी नशे के रूप में इस्तेमाल होते हैं. हेरोईन भी अफीम का ही उत्पाद है. इसके अलावा गांज़ा सबसे ज़्यादा इस्तेमाल होता है. बहुत से लोग ऐसे ड्रग्स का भी इस्तेमाल करते हैं, जिसमें मॉर्फिन और कोडीन जैसे पदार्थ होते हैं. ब्रेड पर आयोडेक्स लगा कर खाना, सिगरेट पर झंडू बाम लगा कर पीना, कफ़ सिरप काज़्यादा इस्तेमाल करना, वाइटनर, डीज़ल पेट्रोल सूंघना, इसकी मिसालें हैं. आम लफ्ज़ों में भारत समेत पूरी दुनिया में जो ड्रग सबसे ज़्यादा इस्तेमाल किए जाते हैं, उनमें कोकीन, हेरोईन, चरस, गांजा, हशीश और एक्सटैसी शामिल हैं.
ड्रग्स की कितनी मात्रा में कितनी सज़ा?
एनडीपीएस एक्ट में ड्रग्स की मात्रा भी तय है. इसे तीन हिस्सों में बांटा गया है. स्मॉल क्वांटिटी, मीडिया क्वांटिटी और कमर्शियल क्वांटिटी. इसी क्वांटिटी के हिसाब से धारा और सज़ाएं तय होती हैं. मसलन, कोकीन की स्मॉल क्वांटिटी 2 ग्राम से कम है, जबकि कमर्शियल क्वांटिटी 100 ग्राम से ज्यादा. मीडियम क्वांटिटी 2 से 100 ग्राम के बीच में मानी जाती है. यानी अगर किसी के पास से 2 ग्राम से कम कोकीन बरामद होती है, तो उसे अधिकतम 1 साल की सज़ा मिल सकती है. लेकिन अगर 2 ग्राम या इससे ज्यादा बरामद होती है, तो फिर सज़ा 10 से 20 साल हो सकती है. गांजा की स्मॉल क्वांटिटी एक किलो से कम, जबकि कमर्शियल क्वांटिटी 20 किलो से अधिक है. हेरोईन की स्मॉल क्वांटिटी 5 ग्राम से कम, जबकि कमर्शियल क्वांटिटी 250 ग्राम से ज्यादा है. चरस की स्मॉल क्वांटिटी 100 ग्राम से कम. जबकि कमर्शियल क्वांटिटी 1 किलो से ज्यादा है. अफीम की स्मॉल क्वांटिटी 25 ग्राम से कम, जबकि कमर्शियल क्वांटिटी ढाई किलो से ज्यादा है. बीच की मात्रा मीडियम कही जाती है, जिसमे 10 साल तक की सजा है.
एनडीपीएस की धारा 27 और 27ए
दरअसल, धारा 27 ए किसी ड्रग रैकेट से जुड़े उस शख्स पर लगाया जाता है जो ड्रग्स के धंधे में पैसे लगाता है. यानी इसका कारोबार करता है. इसीलिए इसे गंभीर अपराध माना जाता है. और इसमें 20 साल तक की सज़ा का प्रावधान है. जबकि धारा 27 उन लोगों पर लगती है, जो ड्रग्स का इस्तेमाल खुद करते हैं. यानी ड्रग्स लेते हैं. इसमें अधिकतम एक साल की सज़ा है.
एनडीपीएस की धारा 29
धारा 29 किसी पर लगाने के लिए ज़रूरी है कि उस केस में एक से ज़्यादा आरोपी हों. हालांकि किसी का नाम लेने भर से ही ये धारा लगाना काफ़ी नहीं होता, बल्कि इस धारा को लगाने के लिए सह आरोपियों के खिलाफ़ साज़िश में शामिल होने के सबूत होने ज़रूरी हैं. ऐसे सबूत हासिल करने में अक्सर मुश्किलें आती हैं. और यही वजह है कि इसका फायदा उठा कर बड़े ड्रग डीलर आसानी से बच निकलते हैं.