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NCERT ने 12वीं की नई किताब से हटाया बाबरी मस्जिद का नाम, तीन गुंबद वाला ढांचा’ लिखा गया, 4 की जगह सिर्फ 2 पन्नों में अयोध्या का जिक्र

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NCERT removed the name of Babri Masjid from the new book of 12th standard, wrote ‘Three domed structure’, Ayodhya mentioned in only 2 pages instead of 4

नई संशोधित NCERT की 12वीं कक्षा की राजनीति विज्ञान की किताब बाजार में आ चुकी है. इस किताब में कई बदलाव देखने को मिले हैं. सबसे बड़ा बदलाव अयोध्या विवाद के टॉपिक में देखा गया है, जहां बाबरी मस्जिद का नाम किताब में नहीं दिया गया है. मस्जिद का नाम लिखने की बजाय इसे “तीन गुंबदों वाला ढांचा” बताया गया है. अयोध्या विवाद का टॉपिक चार पेज से कम करके दो पेज तक सिमटा दिया गया है.

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मीडिया  रिपोर्ट के मुताबिक, अयोध्या विवाद के बारे में जानकारी देने वाले पुराने संस्करण भी हटा दिए गए हैं. इसमें गुजरात के सोमनाथ से अयोध्या तक भाजपा की रथयात्रा, करसेवकों की भूमिका, 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के बाद सांप्रदायिक हिंसा, भाजपा शासित राज्यों में राष्ट्रपति शासन और भाजपा द्वारा अयोध्या में हुई घटनाओं पर खेद जताने जैसे विषय शामिल हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कि इस बार राजनीति विज्ञान की किताब में क्या बड़े बदलाव किए गए हैं.

बाबरी मस्जिद को लेकर नई किताब में क्या लिखा गया?

12वीं क्लास की पॉलिटिकल साइंस की पुरानी किताब में बाबरी मस्जिद का परिचय मुगल सम्राट बाबर के जनरल मीर बाकी द्वारा निर्मित 16वीं शताब्दी की मस्जिद के रूप में किया गया. अब नई किताब में दिए चैप्टर में इसके बारे में कुछ इस तरह से जिक्र किया गया है, “एक तीन-गुंबद वाली संरचना, जो साल 1528 में श्री राम के जन्मस्थान स्थल पर बनाई गई थी, लेकिन संरचना के आंतरिक और बाहरी हिस्सों में हिंदू प्रतीकों और अवशेषों को साफ देखा जा सकता था.”

पुरानी किताब में क्या लिखा था
पुरानी किताब में बाबरी मस्जिद का परिचय मुगल सम्राट बाबर के सेनापति मीर बाकी द्वारा निर्मित 16वीं शताब्दी की मस्जिद के रूप में किया गया था। उसमें बताया गया था कि 1986 में फैजाबाद जिला अदालत द्वारा मस्जिद खोलने के फैसले के बाद कैसे मोबिलाइजेशन हुआ था। 1992 में राम मंदिर बनाने के लिए रथ यात्रा और कार सेवा की वजह से सांप्रदायिक तनाव पैदा हुआ, जिसके बाद 1993 में सांप्रदायिक दंगे हुए।

नई किताब में किया लिखा
इधर नई किताब में बताया गया है कि 1986 में फैजाबाद जिला कोर्ट ने तीन गुंबद वाले ढांचे (बाबरी मस्जिद) को खोलने का आदेश दे दिया और लोगों को पूजा करने की इजाजत मिल गई। किताब में लिखा है कि ऐसा माना जाता था कि इस तीन गुंबद वाले ढांचे को भगवान राम के जन्मस्थान पर बनाया गया है। इसके बाद राम मंदिर का शिलान्यास कर दिया गया लेकिन आगे मंदिर के निर्माण पर रोक लगा दी गई।

नई किताब में अयोध्या विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को शामिल किया गया है। इसमें बताया गया कि 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने फैसला सुनाया कि यह जमीन मंदिर की है. इसके साथ ही पुरानी किताब में कुछ न्यूज पेपर कटिंग की तस्वीरें लगाई गई थीं जिनमें बाबरी ढहाने के बाद कल्याण सिंह सरकार को हटाने का आदेश शामिल था.। लेकिन अब नई किताब में इसे हटा दिया गया है. इसके साथ ही लोकतांत्रिक अधिकार नाम के 5वें चैप्टर में गुजरात दंगों का जिक्र हटाया गया है।

विध्वंस को बताने वाली अखबारों की कटिंग गायब

पुरानी किताब में विध्वंस के दौर के समय अखबार में लिखे आर्टिकल की तस्वीरें थीं, जिनमें 7 दिसंबर 1992 का एक आर्टिकल भी शामिल था. इसका शीर्षक था ‘बाबरी मस्जिद ध्वस्त, केंद्र ने कल्याण सरकार को बर्खास्त किया’. 13 दिसंबर, 1992 को छपे एक अखबार के आर्टिकल की एक हेडलाइन में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को यह कहते हुए कोट किया गया है, ‘अयोध्या बीजेपी की सबसे खराब गलतफहमी है.’ नई किताब में सभी अखबारों की कटिंग को हटा दिया गया है.

एनसीईआरटी की नई किताबों में क्या है (NCERT Books)

एनसीईआरटी की नई किताबों में निम्ननलिखित बातों का जिक्र है

1986 में फैजाबाद जिला अदलात में तीन गुंबद वाले ढांचे को हिंदू के लिए खोलने का आदेश मिला

राम मंदिर का शिलान्यास कर दिया गया लेकिन आगे निर्माण पर रोक लगा दी गई, जिससे हिंदुओं की भावना आहत हुई

वहीं 1992 में ढांचा गिरने के बाद बहुत सारे आलोचकों ने कहा कि यह लोकतंत्र के सिद्धांतों के लिए बड़ी चुनौती साबित होगी

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